Saturday, 21 January 2012

भारत की झलक इन शब्दों में


भारत की झलक इन शब्दों में .............
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कुछ हाथ से उसके फिसल गया,पलक झपक कर निकल गया 
जब लाश बिछ गयी लाखो की, सब पलक झपक कर बदल गया 
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जब रिश्ते राख में बदल गये,इंसानों का दिल दहल गया 
मै पूछ- पूछ  कर हार गया, क्यू मेरा भारत बदल गया 
क्यू मेरा भारत बदल गया-
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नहीं सिर्फ जस्न मनाना,नहीं सिर्फ झंडे लहराना 
ये काफी नहीं वतन परस्ती,यादो को ना भुलाना 
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जो हुए है कुर्बान, उनके लफ्जो को आगे बढ़ाना 
खुदा के लिए नहीं, जिन्दगी वतन के लिए निभाना 
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आदित्य शर्मा 



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