Saturday 21 January 2012

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सभी देश प्रेमिओ के लिए एक प्रतिज्ञा और प्रार्थना अपने शब्दों में .............

आज अगर तू रणभूमि से भाग खड़ा हो जायेगा, 
माँ के दूध की, धिक्कार तुझे है, फिर पाछे पछतेएगा

क्यू कायर बन इस ममता के, आंचल को तू खोता है
पल-पल खुसबू आती इससे ,फिर भी क्यों तू रोता है  
मात्रभूमि को आज नहीं तो ,फिर कब इसे  बचायगा
आज अगर तू रणभूमि से भाग खड़ा हो जायेगा
माँ के दूध की, धिक्कार तुझे है, फिर पाछे पछतेएगा

फूल नहीं है इस आगन में , जिस पर तू इतराता है 
मात्रभूमि की गोद में है पर,फिर भी आंख चुराता है 
देश प्रेम की बलिवेदी पर,आज अगर रुक  जाएगा 
माँ के दूध की, धिक्कार तुझे है, फिर पाछे पछतेएगा,

वतन पर मिट गया है जो, वतन से जा नहीं सकता 
वतन में मर गया है जो, वतन में आ नहीं सकता 
मेरी अरदास है तुझसे, प्रभु मेरे अन्तेर्यामी    
मै जब भी पास तेरे आऊ,वतन पर ही मिट के जाऊ 
मुझे कर दे बुलंद इतना ,मै रण से भाग ना पाऊ
मेरी है आश इतनी सी, वतन पर ही मिट के जाऊ

आज अगर तू रणभूमि से भाग खड़ा हो जायेगा
माँ के दूध की, धिक्कार तुझे है, फिर पाछे पछतेएगा...............................आदित्य शर्मा ....

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