सुना है नीद में अक्सर वो मेरा नाम लेता है
सरारत से भी वो य़ू भी काम लेता है
जो मै ऊँगली थमाता हूँ तो कलाई थाम लेता है
इबादत कोन कहता है,इनायत कोन करता है
सभी है लुटने वाले,हिफाजत कोन करता है
भवर की गुन-गुनाहट से अब हर फुल डरता है
सभी खिलवाड़ करते है,मोहब्बत कोन करता है
सभी फेर ले नजरे,दुहाई दे तो किसको दे
अदालत हो गई बहरी सुनाई दे तो किसको दे
यहा कानून है अँधा दिखाई दे तो किसको दे
जब मुजरिम ही मुंसिफ हो सफाई दे तो किसको दे
आदित्य शर्मा
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