Wednesday, 29 February 2012

क्यों गुम-सुम सा हो जाता है उस माली से पूछो

दिल की जमी पर जब फसल यादो की बोवगे
जिससे जितना प्यार करोगे उतना रोवगे
केसा होता दर्द टूटने का डाली से पूछो
पतझड़ आने की पीड़ा तो हरियाली से पूछो 
एक कली खिलने से पहले कोई तोड़ ले जाय
क्यों गुम-सुम सा हो जाता है उस माली से पूछो 
पा जाओगे तब कुछ खुद को जितना खोवगे
 दिल की जमी पर जब फसल यादो की बोवगे
जिससे जितना प्यार करोगे उतना रोवगे
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नदिया जब से गई छोडकर सुने हुए किनारे 
रूठ गये है स्वर्गित जिनसे टूट गये है तारे 
जब तक नील गगन में रहते चमक नहीं खोते है 
जाने कहाँ चले जाते है टूटे हुए सितारे 
सपने अपने हो जायगे जब भी सोवगे

दिल की जमी पर जब फसल यादो की बोवगे
जिससे जितना प्यार करोगे उतना रोवगे
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आदित्य शर्मा (ayuraved.blogspot.com)

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