मंजिले भी उसकी थी ,रास्ता भी उसका था
एक हम ही अकेले थे,और काफिला भी उसका था
उम्र भर साथ चलने की सोच भी उसकी थी
फिर रस्ते बदलने का फेसला भी उसका था
मुझे भूल जाने कि जिद भी उसकी थी एक हम ही अकेले थे,और काफिला भी उसका था
उम्र भर साथ चलने की सोच भी उसकी थी
फिर रस्ते बदलने का फेसला भी उसका था
पर मुझे पाने का होंसला भी उसका था
आज अकेले है फिर भी दिल सवाल करता है
कि लोग तो उसके थे "पर क्या खुदा भी उसका था "
मेरी पेशकस ----------------
में वादा करू या शिकायत करू
खुश रहे तू सदा ये दुआ में करू
में देखू जिधर तुझे पाता वही
तू देखे जिधर मुंझे पाता नहीं
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मेरी एक जिद से टुटा तू ..
तेरी हर हद से गुजरा में ..
नहीं यादो में फिर भी गम
रहा है साथ मेरे हरदम
तू एक अहसास है मेरा ,तू ही मेरा संगे हमदम
बता अब दूर तुझसे में --- जाकर भी क्या करू
में वादा करू या शिकायत करू
खुश रहे तू सदा ये दुआ में करू .................................
आदित्य शर्मा
wah wah kya baat hai janab
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