दे गए जो चढ़ती जवानियो की क़ुरबानी,शहीदों की जलती चिताओ से पूछते
जिनके घरो के इकलोते भी चिराग बुझे ,खोये अंधकार मै पिताओ से तो पूछते|
जिनके सिंदूरी सपने हवन हो गये है ,एक बार उन विधवाओ से पूछते
देशद्रोहियों को प्राण दंड दे या प्राणदान,बलिदानी सेनिको की माओं से तो पूछते|
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हत्यारों के हित मे खुली बयान बाजियों का,तिव्र्र होता हुआ ये प्रवाह बंद कीजये
उग्रवादियों के पक्षधारियो के सिने फाड़,बलिदानियों के मान को बुलंद कीजिये |
देशद्रोही की रिहाई की दुहाई दे रहे जो, उन देशद्रोह के स्वरों को बंद कीजये
ऐसे धूर्त नेताओ को अफजल से भी पहले,फासियो पे लटकाने का प्रबंध कीजिये|
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जिनसे सदा विषधार ही छलकती है,करके प्रहार वो विषेले घट फोडिये
क्रांति के बिना कभी शांति नहीं संभव है,भ्रान्ति मै भटकता विचार रथ मोड़िये |
हाथ मत जोडीयेगा ,कुरुर कातिलो के आगे ,वक्त की है मांग इन्हें तोडिये -मरोड़ीये
फाँसी पे चडाने की जरूरत ही कोन सी है, इन्हें मुठ -भेड़ में ही जिन्दा मत छोडिये|
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शूरवीर जहाँ मिलते है ,शेर जहाँ मस्ताते है
इस मिटटी की खुशबु से वो मदमस्त हो जाते है
इस भारत की धरा को जो भी आँख उठा कर देखेगा,इन हाथो से अपने सर को धड से जुदा देखेगा|
भारत माता खड़ी बिलखती, शकल देख इन लालों की
वो इन्सान हुए है पत्थर, जो माँ की छाती चीर रहे, लाज-शर्म नही इन कुत्तो को जो माँ का आंचल छीन रहे|
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मचा हुआ हाहा कार, छाया घोर अंधकार,धुंधली दिशाओ को प्रकाश की जरूरत है
अशांति के मिटाने और शांति के बचाने हेतु, आज जन क्रांति के विकास की जरूरत है |
सियार हो लाख होसियार किन्तु सिंह का विकल्प नहीं, शौर्य स्वाभिमान इतिहास की जरूरत है
भारत को कल भी सुभाष की जरूरत थी, भारत को आज भी सुभाष की जरूरत है |
आदित्य शर्मा
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