Tuesday, 11 September 2012

जहाँ मरे आजाद पार्क के पत्ते खड़क गये होंगे .......

मेरे प्यारे देश वासियों अपने उन अमर वीरो को याद करके उनके सपनो को पूरा करने का संकल्प ले ।
कुछ लाइने उनके लिए ..............................

आज  हमारा देश जिस आग  में जल रहा  है तब ................

 जहाँ मरे आजाद पार्क के पत्ते खड़क गये होंगे
कहीं  स्वर्ग  में शेखर जी के बाजु फड़क गये होंगे
शायद पल दो पल को उनकी निदिया जाग गयी  होगी
फिर पिस्तोल उठा लेने की इच्छा जाग  गयी होगी

स्वर्ण जयंती वाला मंदिर जब कहीं खड़ा  हुआ होगा
शेखर उसकी बुनियादो के निचे गडा  हुआ होगा
आजादी के कारण जो गोरो से कभी लड़ी है रे
शेखर की पिस्तोल किसी तीर्थ से बहुत बड़ी है रे 

जो धरती में मस्तक बो कर चले गये
दाग गुलामी वाला धो कर चले गये
दूर गगन के तारे उनके नाम दिखायी देते है
उनके इस्मार्क भी चारो धाम दिखाई देते है

जिनके कारण ये भारत आजाद दिखाई देता है
अमर तिरंगा उन बेटो की याद दिखाई देता है
उनका नाम जुबा  पर लो तो पलकों को झपका लेना
उनके यादो के पत्थर पर दो आंसू टपका देना

आदित्य शर्मा


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