Sunday, 22 January 2012

अपना दर्द.........


अपना दर्द.........
हम मरते भी गये,प्यार करते भी गये,
पता भी ना चला, वो कब गुलाम कर गये,
जानते है अब,पर कुछ कर नहीँ सकते,
ये कैसा अध्यात्म है, जो इसे तोड़ नहीं सकते।                        
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ए मालिक बता मुझे, मै कैसे खामोश रहूं,
वो देश बरबाद कर रहे है, मै बैठा रहूँ,
या तो पनाह दे गोद में,या दफन कर जमीं में,
या शक्ति दे, के माँ के दामन को पवित्र कर दूँ॥   
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आशु आर्य

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