इन्सान की हालत ...................मेरी तरफ से ....................................................
हर तरफ हर जगह बेसुमार आदमी , फिर भी तनहइयो का शिकार आदमी............
सुबह से शाम तक बोझ ढोता हुआ ,अपनी ही लाश का खुद मजार आदमी
हर तरफ हर जगह बेसुमार आदमी , फिर भी तनहइयो का शिकार आदमी............
हर तरफ भागते दोड़ते रास्ते, हर तरफ भागते दोड़ते रास्ते...
हर तरफ आदमी का शिकार आदमी- फिर भी तनहइयो का शिकार आदमी....
हर तरफ हर जगह बेसुमार आदमी.............
हर तरफ हर जगह बेसुमार आदमी..............
रोज जीता हुआ- रोज मरता हुआ
हर नये दिन ,नया इंतजार आदमी-फिर भी तनहइयो का शिकार आदमी...
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हर तरफ हर जगह बेसुमार आदमी..............
जिन्दगी का मुकद्दर सफर दर सफर
आखरी साँस तक बेकरार आदमी-फिर भी तनहइयो का शिकार आदमी....
हर तरफ हर जगह बेसुमार आदमी..............हर तरफ हर जगह बेसुमार आदमी..............
आदित्य शर्मा
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