Tuesday, 24 January 2012

समझो इनकी जुबाँ.....................................

समझो इनकी जुबाँ.....................................
किसी के काम आये जो उसे इन्सान कहते है ,उसे इन्सान कहते है....... 
भरने को दुनिया में पशु भी पेट भरते है ,पराया जो पेट भरते है ...
उसे इन्सान कहते है....... 

समाज के ठेकेदारो ने समाज का चेहरा बदल दिया 
उस इन्सान की कीमत क्या होगी ,जिसको बेडी में जकड दिया 
जुल्मो की इस बेडी को अब हमको तोड़ जाना है ...
गुलामो की तकदीरो को फिर से नया बनाना है 
तो इस देश की खातिर अब हम एक जुट हो जाते है...

पराया जो पेट भरते है ...उसे इन्सान कहते है....... 

सडको पर चिल्लाती है आज हमारी आजादी .....
सुनलो औ माँ के पूतो ,इसको हमें बचाना है ..
भारत को सोने की चिड़िया फिर से हमे बनाना है ...
देशभक्तो के सभी सपनो को सच करके दिखलाना है ..

वतन पर मिटने वालो को ही लोग मशीहा कहते है ..
पराया जो पेट भरते है ...उसे इन्सान कहते है....... 
आदित्य शर्मा 

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