Saturday 3 March 2012

ak.47.अस्त्र -शस्त्र बेकार सभी हो जायगे 
अणु और परमाणु-बंम भी ,सफल नहीं हो पायगे 
अब सागर में डुबो फेक दो, तलवार तोप और भालो को 
सेना में भारती कर लो,इन खाकी वर्दी वालो को 
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शासन से कह दो अब,करना सेना का निर्माण नहीं 
छाट-छाट कर वीर सजीले,भर्ती करना जवान नही
फोजो का निर्माण,शांत उपवन में आग लगा देगा 
उजव्व्ल  ध्वज पताका में यह,कला दाग लगा देगा 
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नहीं चाहिए युद्ध भूमि में कुछ भी सेन्य समान हमे 
युद्ध क्षेत्र में,कर्म क्षेत्र में,करना है आराम हमे 
शत्रु नहीं भयभीत कदापि ,तोप ,टेंक और गोलों से 
इनको भय लगता है केवल,नेताओ के बोलो से 
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रणभूमि में कुछ कारीगर मंच बनाने वाले हो 
कबाब,शबाब और रणभूमि में कुछ मधुशाला वाले हो 
जिन्दा है ये इस सपने पे एक दिन ऐसे आयगे 
भारत माता के इस आंचल को तार-तार कर जायगे 
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रूपचंद शास्त्री/आदित्य शर्मा 

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