भारत के इतिहास से आज तक की .................................
खोलता हुआ रगों में राणाजी,शिवाजी वाला , लहू का उफान कभी झुकने न पायगा-२
पन्ना धाय,हाडा रानी का ये बलिदानी देश, क़ुरबानी में कलेजा दुखने न पायेगा -२
शेखर, सुभाष,असफाक की धरा है यहा, क्रांति का प्रवाह रुकने ना पायगा -२
भारत की जनता के दिल में लहरता ये , लाडला तिरंगा कभी झुक ने ना पायगा-२
साझा ही सहादत थी ,साझा ही विरासत है साझा बोलती है बलिदान की निसानिया-२
हिन्दू और मोमिनो ने मिलके लड़ी है जंग ,आजादी में मिलके ही दी है कुरबानिया-२
जंग लगी तलवारे जंग में चमक उठी ,झुज उठी जफर सी बूढी नो जवानिया -२
बेगमो ने तेग से गढ़े ही इतिहास यहा ,रानियों ने तलवार से लिखी कहनिया -२
देश द्रोहियों से प्रतिबंध हटने लगे है, देश प्रेमियों को सूली पर चढाया जायगा -२
सिर्फ सत्ता के लिए ही,कुरबानिया बची है, रास्ट्र एकता को दाव पे लगाया जायगा -२
आज सविधान की है मर्यादा तार-तार,कल को तिरंगा भी ना फेरया जायगा -२
दिल्ली आज वन्दे मातरम गीत पे झुकी तो,कल यहा रास्ट्र गान भी ना गाया जायगा -२
आज की युवा पीडी पर जो इल्जाम लगाये जाते है,लेकिन जब देश की रक्षा की बात आती है
तब ये ही युवा पीडी अपने खून को बहती है -------------------------------------------------
इनसे भले ही व्ह्व्हार में हो भू चुक,फिर भी ये मस्त जिंदगानी काम आयगी -2
कभी-कभी मानीऔर कभी नहीं मानी वह, की है जो इन्होने मनमानी काम आयगी -2
जब-जब कंस ,शिशुपाल के बढ़ेगे पाप,नट-खट कृष्ण की कहानी काम आयगी -२
देश को पड़ेगी जरूरत जब खून की तो,अल्हड सी यही नोजवानी काम आयगी -२
पथ भ्रष्ट होने का कलंक जो लगाया गया,हमने वो आत्म बलिदान से मिटा दिया -२
देश की सुरक्षा हेतु देश की जवानियो ने, सीमओं पर बूद-बूंद रक्त को चढ़ा दिया -२
गोलियों के आगे जो वक्ष को अड़ाते रहे ,संसद को एक भी ना घाव लगने दिया -२
आप समझोते वाली मेज पे ना जीत पाए,चोटियों पे हमने तिरंगा लहरा दिया -२
आन-बान शान पे ना दाग लगने दिया,स्वाभिमान देश का सवार कर वाये हम-२
भारती का मानचित्र धुंधला जो हो गया था,शत्रुओ के खून से निखार कर आये हम -२
बेरियो के सीने चीर गाड़ते तिरंगे रहे,चाहे साँस मोंत से उधार कर आये हम-२
सरहद पर से तो जीत आये बार-बार ,हर जंग अपनों से हार कर आये हम-२
जो सीमा की लड़ाई में शहीद हुआ ,तब उसकी मां उससे क्या पूछती है ----------------
प्राण ले हतेली पर बढ़ता चला गया तू,साँस-साँस भारती पे अपनी चड़ाई है-२
देश का जो मस्तक झुके ना ऐसा काम किया,दूध ना लजाया मेरी कोख ना लजाई है -२
हाथ से तिरंगा निचे गिरने दिया ना तुने,शत्रुओ की कोई गोली पीठ पे ना खाई है -२
पीठ पे निशान फिर केसे आये गोलियों के,यह बात मेरे लाल समझ ना आयी है-२
सेनिक का जवाब ----------------------------------------------------------------------------------
सिन्धु नदी वाला जल सारा लाल -लाल हुआ ,शत्रुओ के शोंनित की धार वो बहाई थी-२
मोंत की हमारी जिम्मेदार है हमारी दिल्ली,उनसे तो जीत अपनों से मत खाई थी -२
पीठ पे हमारी ये निशान क्यों है गोलियों के,जान ले समूचा देश चिट्ठी भिजवाई थी -२
चोटियों पे गाड रहे जब थे तिरंगे हम,पीठ पे हमारे गोली दिल्ली ने चलाई थी -२
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जब -जब दिल्ली ने भरोसा हम पे किया है, हम शत्रुओ का दम्ब झाड़ते चले गये -२
यहा माला जपने के सपने जो देखते थे ,उनको उखाड़ते-पछाड़ते चले गये -२
नानी याद करता था -पानी मागता था पाक,जब चाह पानी सा उतारते चले गये -२
दुःख है तो इतना है जिसे गोलियों से जीता ,दिल्ली वाले बोलियों से हारते चले गये -२
शत्रुओ से कश्मीर पाक में मिलाने के जो, कल्प चित्र खीचे है समूचे फाड़ लायगे-२
शत्रु दुश्सासन जो छु गया है माँ का चीर, उनकी भुजाये भीमसेन उखाड़ लायगे -२
सुख से सियालकोट के सियार सो न पाए, सेनिक सपूत सिंह से दहाड़ आयगे -२
दिल्ली दस घंटे की इजाजत हमे जो देदे ,इंच -इंच पाक में तिरंगे गाड आयेगे -२
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हार नहीं जीत है ये पावन पुनीत है, क्रांतिकारी गीत है महान वन्दे मातरम -२
भगत सतगुरु ,बिस्मिल की है गीता ,असफाक उल्ला का कुरान वन्दे मातरम -२
जेल की दीवारों पर शहीदों ने लहू से लिखी ,जंगे आजादी की दास्ताँ वन्दे मातरम -२
इसको फिरंगियों की फासियाँ न रोक पाई ,शुलियो पे गाया गया गान वन्दे मातरम -२
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आदित्य शर्मा , संग्रह से
खोलता हुआ रगों में राणाजी,शिवाजी वाला , लहू का उफान कभी झुकने न पायगा-२
पन्ना धाय,हाडा रानी का ये बलिदानी देश, क़ुरबानी में कलेजा दुखने न पायेगा -२
शेखर, सुभाष,असफाक की धरा है यहा, क्रांति का प्रवाह रुकने ना पायगा -२
भारत की जनता के दिल में लहरता ये , लाडला तिरंगा कभी झुक ने ना पायगा-२
साझा ही सहादत थी ,साझा ही विरासत है साझा बोलती है बलिदान की निसानिया-२
हिन्दू और मोमिनो ने मिलके लड़ी है जंग ,आजादी में मिलके ही दी है कुरबानिया-२
जंग लगी तलवारे जंग में चमक उठी ,झुज उठी जफर सी बूढी नो जवानिया -२
बेगमो ने तेग से गढ़े ही इतिहास यहा ,रानियों ने तलवार से लिखी कहनिया -२
देश द्रोहियों से प्रतिबंध हटने लगे है, देश प्रेमियों को सूली पर चढाया जायगा -२
सिर्फ सत्ता के लिए ही,कुरबानिया बची है, रास्ट्र एकता को दाव पे लगाया जायगा -२
आज सविधान की है मर्यादा तार-तार,कल को तिरंगा भी ना फेरया जायगा -२
दिल्ली आज वन्दे मातरम गीत पे झुकी तो,कल यहा रास्ट्र गान भी ना गाया जायगा -२
आज की युवा पीडी पर जो इल्जाम लगाये जाते है,लेकिन जब देश की रक्षा की बात आती है
तब ये ही युवा पीडी अपने खून को बहती है -------------------------------------------------
इनसे भले ही व्ह्व्हार में हो भू चुक,फिर भी ये मस्त जिंदगानी काम आयगी -2
कभी-कभी मानीऔर कभी नहीं मानी वह, की है जो इन्होने मनमानी काम आयगी -2
जब-जब कंस ,शिशुपाल के बढ़ेगे पाप,नट-खट कृष्ण की कहानी काम आयगी -२
देश को पड़ेगी जरूरत जब खून की तो,अल्हड सी यही नोजवानी काम आयगी -२
पथ भ्रष्ट होने का कलंक जो लगाया गया,हमने वो आत्म बलिदान से मिटा दिया -२
देश की सुरक्षा हेतु देश की जवानियो ने, सीमओं पर बूद-बूंद रक्त को चढ़ा दिया -२
गोलियों के आगे जो वक्ष को अड़ाते रहे ,संसद को एक भी ना घाव लगने दिया -२
आप समझोते वाली मेज पे ना जीत पाए,चोटियों पे हमने तिरंगा लहरा दिया -२
आन-बान शान पे ना दाग लगने दिया,स्वाभिमान देश का सवार कर वाये हम-२
भारती का मानचित्र धुंधला जो हो गया था,शत्रुओ के खून से निखार कर आये हम -२
बेरियो के सीने चीर गाड़ते तिरंगे रहे,चाहे साँस मोंत से उधार कर आये हम-२
सरहद पर से तो जीत आये बार-बार ,हर जंग अपनों से हार कर आये हम-२
जो सीमा की लड़ाई में शहीद हुआ ,तब उसकी मां उससे क्या पूछती है ----------------
प्राण ले हतेली पर बढ़ता चला गया तू,साँस-साँस भारती पे अपनी चड़ाई है-२
देश का जो मस्तक झुके ना ऐसा काम किया,दूध ना लजाया मेरी कोख ना लजाई है -२
हाथ से तिरंगा निचे गिरने दिया ना तुने,शत्रुओ की कोई गोली पीठ पे ना खाई है -२
पीठ पे निशान फिर केसे आये गोलियों के,यह बात मेरे लाल समझ ना आयी है-२
सेनिक का जवाब ----------------------------------------------------------------------------------
सिन्धु नदी वाला जल सारा लाल -लाल हुआ ,शत्रुओ के शोंनित की धार वो बहाई थी-२
मोंत की हमारी जिम्मेदार है हमारी दिल्ली,उनसे तो जीत अपनों से मत खाई थी -२
पीठ पे हमारी ये निशान क्यों है गोलियों के,जान ले समूचा देश चिट्ठी भिजवाई थी -२
चोटियों पे गाड रहे जब थे तिरंगे हम,पीठ पे हमारे गोली दिल्ली ने चलाई थी -२
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जब -जब दिल्ली ने भरोसा हम पे किया है, हम शत्रुओ का दम्ब झाड़ते चले गये -२
यहा माला जपने के सपने जो देखते थे ,उनको उखाड़ते-पछाड़ते चले गये -२
नानी याद करता था -पानी मागता था पाक,जब चाह पानी सा उतारते चले गये -२
दुःख है तो इतना है जिसे गोलियों से जीता ,दिल्ली वाले बोलियों से हारते चले गये -२
शत्रुओ से कश्मीर पाक में मिलाने के जो, कल्प चित्र खीचे है समूचे फाड़ लायगे-२
शत्रु दुश्सासन जो छु गया है माँ का चीर, उनकी भुजाये भीमसेन उखाड़ लायगे -२
सुख से सियालकोट के सियार सो न पाए, सेनिक सपूत सिंह से दहाड़ आयगे -२
दिल्ली दस घंटे की इजाजत हमे जो देदे ,इंच -इंच पाक में तिरंगे गाड आयेगे -२
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हार नहीं जीत है ये पावन पुनीत है, क्रांतिकारी गीत है महान वन्दे मातरम -२
भगत सतगुरु ,बिस्मिल की है गीता ,असफाक उल्ला का कुरान वन्दे मातरम -२
जेल की दीवारों पर शहीदों ने लहू से लिखी ,जंगे आजादी की दास्ताँ वन्दे मातरम -२
इसको फिरंगियों की फासियाँ न रोक पाई ,शुलियो पे गाया गया गान वन्दे मातरम -२
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आदित्य शर्मा , संग्रह से
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