Saturday, 30 June 2012

मुझे गर्व है कहने में , मै हूँ इस भारत का वासी

न कोई तस्वीर न कोई निशानी थी !
न कोई जंजीर न कोई कहानी थी !!
आपका दोस्त होना इत्तफाक था शायद !
या फिर खुदा की हम पे कोई मेहरबानी थी !!


जिस पर धरती को रहा नाज , जिसके सर पे सदा रहा ताज 
जो विश्व गुरु कहलाता है , जग जिसको शीश झुकता है ।
सागर ने चरणों को धोया , है माटी में सोना बोया 
पावनता का वो गंगाजल , वो झेलम की झिलमिल कल -कल ।
ऋषी -मुनियों की परपाठी ,चन्दन जेसी जिसकी माटी 
जिसमे चरित्र है सीता के , जिसमे श्लोक है गीता के ।
है कही कृष्ण  वाला न्रत्यंग ,और  कही  राम सा वनवासी 
मुझे गर्व है कहने में , मै हूँ इस भारत का वासी ।

आदित्य शर्मा  
ayuravedaditya@gmail.com
08881825043

11 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (01-07-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  2. वर्ड वेरि‍फ़ि‍केशन हटा दें तो और बढ़ि‍या रहेगा

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  3. बहुत सुन्दर मुझे गर्व है मैं भारत का वासी हूँ उन्नत भावों से सुसज्जित रचना

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  4. मुझे भी गर्व है कि मैं भारत की वासी हूँ.

    सुंदर प्रस्तुति.

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  5. बड़ी गहरी भावनाएँ ....

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  6. bhartwaasi hone ka ham sabhi ko garv hai ...

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