न कोई तस्वीर न कोई निशानी थी !
न कोई जंजीर न कोई कहानी थी !!
आपका दोस्त होना इत्तफाक था शायद !
या फिर खुदा की हम पे कोई मेहरबानी थी !!
जिस पर धरती को रहा नाज , जिसके सर पे सदा रहा ताज
जो विश्व गुरु कहलाता है , जग जिसको शीश झुकता है ।
सागर ने चरणों को धोया , है माटी में सोना बोया
पावनता का वो गंगाजल , वो झेलम की झिलमिल कल -कल ।
ऋषी -मुनियों की परपाठी ,चन्दन जेसी जिसकी माटी
जिसमे चरित्र है सीता के , जिसमे श्लोक है गीता के ।
है कही कृष्ण वाला न्रत्यंग ,और कही राम सा वनवासी
मुझे गर्व है कहने में , मै हूँ इस भारत का वासी ।
आदित्य शर्मा
ayuravedaditya@gmail.com
08881825043
न कोई जंजीर न कोई कहानी थी !!
आपका दोस्त होना इत्तफाक था शायद !
या फिर खुदा की हम पे कोई मेहरबानी थी !!
जिस पर धरती को रहा नाज , जिसके सर पे सदा रहा ताज
जो विश्व गुरु कहलाता है , जग जिसको शीश झुकता है ।
सागर ने चरणों को धोया , है माटी में सोना बोया
पावनता का वो गंगाजल , वो झेलम की झिलमिल कल -कल ।
ऋषी -मुनियों की परपाठी ,चन्दन जेसी जिसकी माटी
जिसमे चरित्र है सीता के , जिसमे श्लोक है गीता के ।
है कही कृष्ण वाला न्रत्यंग ,और कही राम सा वनवासी
मुझे गर्व है कहने में , मै हूँ इस भारत का वासी ।
आदित्य शर्मा
ayuravedaditya@gmail.com
08881825043
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (01-07-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
thanks
Delete☺
ReplyDeleteवर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें तो और बढ़िया रहेगा
बहुत सुन्दर मुझे गर्व है मैं भारत का वासी हूँ उन्नत भावों से सुसज्जित रचना
ReplyDeletethanks
Deleteमुझे भी गर्व है कि मैं भारत की वासी हूँ.
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति.
thanks for this
Deleteबड़ी गहरी भावनाएँ ....
ReplyDeletethanks
Deletebhartwaasi hone ka ham sabhi ko garv hai ...
ReplyDeletethanks
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