श्री राम मंदिर टुटा, अहिंसा कहाँ छिपि बैठी थी
चंद दुष्टो ने हमको लुटा ,अहिंसा कहाँ छिपि बैठी थी
कुल वधुओ की छाती काटी ,अहिंसा कहाँ छिपि बैठी थी
मृत देहों से धरती पाटी ,तब अहिंसा कहाँ छिपि बैठी थी
इसी अहिंसा की खातिर बस घूट पिए अपमानो के
टुकड़े -टुकड़े कर दिए,भारत माँ के अरमानो के
इसी अहिंसा के कारण ,माँ का रोना मज़बूरी है
दुष्टो के सम्मुख , हिंसा का व्यवहार बहुत जरूरी है ।
इन्कलाब -जिन्दाबाद , इन्कलाब -जिन्दाबाद, वन्दे -मातरम
आदित्य शर्मा
ayuravedaditya@gmail.com
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