आदरणीय प्रधानमंत्री जी के नाम पत्र
दिनांक – 10 मई 2012
सादर प्रणाम!
आज देश एक बहुत बड़ी चुनौती के दौर से गुजर रहा है| पूरी दुनियां में भारत की प्रतिदिन साख गिर रही है| हमारा डैफिसिट निरन्तर बढ़ रहा है, विकास दर घट रही है, रूपये का निरन्तर अवमूल्यन हो रहा है तथा कालेधन की अर्थव्यवस्था ने हमारे देश के भीतर व बाहर बहुत बड़ा आकर ले लिया है| इससे देश में आर्थिक व सामाजिक न्याय का बहुत बड़ा संकट पैदा हो चुका है|
हमारे देश में बड़े लोगों के भ्रष्टाचार के खिलाफ के खिलाफ कठोर कानून यथा मजबूत लोकपाल बिल पारित न होने के कारण बड़े लोगों के भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लग रहा है| 2 जी घोटाला व कॉमनवेल्थ घोटाला से भी बड़ा कोयला घोटाला कैग की प्राथमिक रिपोर्ट के अनुसार करीब 10 लाख 67 हजार करोड़ रूपये का हो चुका है| यदि इन घोटालों के पैसे व कालेधन को हम वापस लाने में अपनी ताकत लगायें तो हमें रिटेल में एफ.डी.आई या अन्य प्रकार के विदेशों से उधार व विदेशी पूंजी निवेश की आवश्यकता ही नहीं होगी| हमारे बाज़ार को हम विदेशी कम्पनियों के हाथों में सौंपकर इस देश को आर्थिक गुलामी की ओर धकेलने पर हम क्यों तुले हुए हैं?
कालेधन व भ्रष्टाचार के कारण देश की अधिकांश पूंजी कुछ भ्रष्ट व ताकतवर लोगों के पास जमा हो गई है| परिणामतः देश के अधिकांश लोग गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई एवं अन्य आर्थिक व सामाजिक अन्याय व शोषण के शिकार हो रहे हैं।
पत्र के साथ संलग्न पूरक पत्रक के माध्यम से हम आपसे अपेक्षा करते हैं कि आप कालाधन वापस लाने व भ्रष्टाचार मिटाने कि प्रक्रिया को लेकर पूरी प्रमाणिकता के साथ गंभीर व परिणामदायक प्रभावी कदम उठाएंगे क्योंकि कालेधन, भ्रष्टाचार व व्यवस्था परिवर्तन के सभी मुद्दों पर बड़े कानूनी निर्णय लेने का एक मात्र अधिकार हमारे संविधान ने केंद्र सरकार को ही दिया है| यदि केंद्र सरकार इन मुद्दों पर तत्काल समग्रता के साथ ठोस कदम नहीं उठाती है तो हम 3 जून को इन मुद्दों को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक सांकेतिक आन्दोलन करेंगे और यदि 3 जून को भी सरकार ने देश कि जनता की न्यायोचित मांगों को अनसुना किया तो देश-भक्त भाई-बहन अगस्त माह में दिल्ली व देश भर में अनिश्चित-कालीन आन्दोलन करने के लिए बाध्य होंगे| देश के करोड़ों लोग भीख नहीं मांग रहे हैं, ये कालाधन वापस लाने की मांग करना व भूसम्पदाओं की लूट ख़त्म करवाकर उसमे बराबरी का हक पाना, ये हमारा संवैधानिक व जन्मसिद्ध अधिकार है| लगभग 400 लाख करोड़ के कालेधन व लगभग 20 हजार लाख करोड़ की भूसम्पदाओं पर 121 करोड़ भारतीयों का समान अधिकार है| यदि सरकार ने हमारा ये हक़ नहीं दिया तो ये न्याय की लड़ाई हम लोकतान्त्रिक व अहिंसात्मक तरीके से लड़ेंगे तथा अगस्त माह में अनिश्चित कालीन आन्दोलन व संघर्ष करेंगे जब तक केंद्र सरकार हमारे इन मुद्दों पर न्यायपूर्ण सही फैसला नहीं करेगी| इससे पहले जो पत्र आपको लिखा था उसमे कालाधन देश को दिलाने की प्रक्रिया को लेकर अत्यधिक विस्तार था अतः इस बार समग्रता व संक्षेप में कालेधन की अर्थव्यवस्था को समाप्त करने की प्रक्रिया को लेकर हम आपको एक पूरक पत्र भी प्रेषित कर रहे हैं| यदि हमारी मांगें संवैधानिक, न्यायोचित, व्यवहारिक, प्रमाणिक, तर्कसंगत, राष्ट्रहित व जनहित में जरूरी हैं (वैसे आपके 19 मई, 2011 के पत्र के अनुसार आप भी इन मुद्दों व मांगों को राष्ट्रहित व जनहित में जरूरी मानते हैं) तो आप तत्काल इन मुद्दों के सन्दर्भ में कारवाई करवाइये और यदि आंदोलन में हम मुद्दों व मांगो के आधार पर गलत हैं तो बताइये|
अन्त में पुनः 121 करोड़ लोगों के हक व न्याय की इन संवैधानिक मांगों पर आदरणीय प्रधानमंत्री जी से ईमानदारी से राष्ट्रधर्म निभाने की अपेक्षा करते हैं| 10 मई को ये पत्र इसलिए लिख रहे हैं क्योंकि इसी दिन 1857 में प्रथम स्वातंत्र्य संग्राम का प्रारम्भ हुआ था| आजादी के संघर्ष में लगभग 7.32 लाख वीर-वीरांगनाओं ने अपनी कुर्बानी व शहादत देकर हमें आजादी दिलवाई थी वो आजादी तब तक अधूरी है जब तक 121 करोड़ लोगों को आर्थिक व सामाजिक न्याय नहीं मिल जाता और हमें न्याय तभी मिलेगा जब कालाधन देश को मिलेगा, भूसम्पदाओं की लूट खत्म होगी, भ्रष्टाचार का खत्मा होगा तथा ये अन्यायपूर्ण भ्रष्ट व्यवस्था बदलेगी| राष्ट्रहित व जनहित में आपके सकारात्मक उत्तर की अपेक्षा के साथ आपको पुनः प्रणाम!.........
"स्वामी रामदेव"
माननीय डॉ.मनमोहन सिंह जी
प्रधानमंत्री - भारत सरकार,
साउथ ब्लॉक, नई दिल्ली – 110011
दिनांक – 10 मई 2012
सादर प्रणाम!
आज देश एक बहुत बड़ी चुनौती के दौर से गुजर रहा है| पूरी दुनियां में भारत की प्रतिदिन साख गिर रही है| हमारा डैफिसिट निरन्तर बढ़ रहा है, विकास दर घट रही है, रूपये का निरन्तर अवमूल्यन हो रहा है तथा कालेधन की अर्थव्यवस्था ने हमारे देश के भीतर व बाहर बहुत बड़ा आकर ले लिया है| इससे देश में आर्थिक व सामाजिक न्याय का बहुत बड़ा संकट पैदा हो चुका है|
हमारे देश में बड़े लोगों के भ्रष्टाचार के खिलाफ के खिलाफ कठोर कानून यथा मजबूत लोकपाल बिल पारित न होने के कारण बड़े लोगों के भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लग रहा है| 2 जी घोटाला व कॉमनवेल्थ घोटाला से भी बड़ा कोयला घोटाला कैग की प्राथमिक रिपोर्ट के अनुसार करीब 10 लाख 67 हजार करोड़ रूपये का हो चुका है| यदि इन घोटालों के पैसे व कालेधन को हम वापस लाने में अपनी ताकत लगायें तो हमें रिटेल में एफ.डी.आई या अन्य प्रकार के विदेशों से उधार व विदेशी पूंजी निवेश की आवश्यकता ही नहीं होगी| हमारे बाज़ार को हम विदेशी कम्पनियों के हाथों में सौंपकर इस देश को आर्थिक गुलामी की ओर धकेलने पर हम क्यों तुले हुए हैं?
कालेधन व भ्रष्टाचार के कारण देश की अधिकांश पूंजी कुछ भ्रष्ट व ताकतवर लोगों के पास जमा हो गई है| परिणामतः देश के अधिकांश लोग गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई एवं अन्य आर्थिक व सामाजिक अन्याय व शोषण के शिकार हो रहे हैं।
पत्र के साथ संलग्न पूरक पत्रक के माध्यम से हम आपसे अपेक्षा करते हैं कि आप कालाधन वापस लाने व भ्रष्टाचार मिटाने कि प्रक्रिया को लेकर पूरी प्रमाणिकता के साथ गंभीर व परिणामदायक प्रभावी कदम उठाएंगे क्योंकि कालेधन, भ्रष्टाचार व व्यवस्था परिवर्तन के सभी मुद्दों पर बड़े कानूनी निर्णय लेने का एक मात्र अधिकार हमारे संविधान ने केंद्र सरकार को ही दिया है| यदि केंद्र सरकार इन मुद्दों पर तत्काल समग्रता के साथ ठोस कदम नहीं उठाती है तो हम 3 जून को इन मुद्दों को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक सांकेतिक आन्दोलन करेंगे और यदि 3 जून को भी सरकार ने देश कि जनता की न्यायोचित मांगों को अनसुना किया तो देश-भक्त भाई-बहन अगस्त माह में दिल्ली व देश भर में अनिश्चित-कालीन आन्दोलन करने के लिए बाध्य होंगे| देश के करोड़ों लोग भीख नहीं मांग रहे हैं, ये कालाधन वापस लाने की मांग करना व भूसम्पदाओं की लूट ख़त्म करवाकर उसमे बराबरी का हक पाना, ये हमारा संवैधानिक व जन्मसिद्ध अधिकार है| लगभग 400 लाख करोड़ के कालेधन व लगभग 20 हजार लाख करोड़ की भूसम्पदाओं पर 121 करोड़ भारतीयों का समान अधिकार है| यदि सरकार ने हमारा ये हक़ नहीं दिया तो ये न्याय की लड़ाई हम लोकतान्त्रिक व अहिंसात्मक तरीके से लड़ेंगे तथा अगस्त माह में अनिश्चित कालीन आन्दोलन व संघर्ष करेंगे जब तक केंद्र सरकार हमारे इन मुद्दों पर न्यायपूर्ण सही फैसला नहीं करेगी| इससे पहले जो पत्र आपको लिखा था उसमे कालाधन देश को दिलाने की प्रक्रिया को लेकर अत्यधिक विस्तार था अतः इस बार समग्रता व संक्षेप में कालेधन की अर्थव्यवस्था को समाप्त करने की प्रक्रिया को लेकर हम आपको एक पूरक पत्र भी प्रेषित कर रहे हैं| यदि हमारी मांगें संवैधानिक, न्यायोचित, व्यवहारिक, प्रमाणिक, तर्कसंगत, राष्ट्रहित व जनहित में जरूरी हैं (वैसे आपके 19 मई, 2011 के पत्र के अनुसार आप भी इन मुद्दों व मांगों को राष्ट्रहित व जनहित में जरूरी मानते हैं) तो आप तत्काल इन मुद्दों के सन्दर्भ में कारवाई करवाइये और यदि आंदोलन में हम मुद्दों व मांगो के आधार पर गलत हैं तो बताइये|
अन्त में पुनः 121 करोड़ लोगों के हक व न्याय की इन संवैधानिक मांगों पर आदरणीय प्रधानमंत्री जी से ईमानदारी से राष्ट्रधर्म निभाने की अपेक्षा करते हैं| 10 मई को ये पत्र इसलिए लिख रहे हैं क्योंकि इसी दिन 1857 में प्रथम स्वातंत्र्य संग्राम का प्रारम्भ हुआ था| आजादी के संघर्ष में लगभग 7.32 लाख वीर-वीरांगनाओं ने अपनी कुर्बानी व शहादत देकर हमें आजादी दिलवाई थी वो आजादी तब तक अधूरी है जब तक 121 करोड़ लोगों को आर्थिक व सामाजिक न्याय नहीं मिल जाता और हमें न्याय तभी मिलेगा जब कालाधन देश को मिलेगा, भूसम्पदाओं की लूट खत्म होगी, भ्रष्टाचार का खत्मा होगा तथा ये अन्यायपूर्ण भ्रष्ट व्यवस्था बदलेगी| राष्ट्रहित व जनहित में आपके सकारात्मक उत्तर की अपेक्षा के साथ आपको पुनः प्रणाम!.........
"स्वामी रामदेव"
माननीय डॉ.मनमोहन सिंह जी
प्रधानमंत्री - भारत सरकार,
साउथ ब्लॉक, नई दिल्ली – 110011
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