Thursday, 9 February 2012

पूछो क्या थी इनके दिल मे..........

श्रम करके संध्या को जब मै अपने बिस्तर पर सोया था  
उस दिन ना जाने क्यों मैने मन मै भारी पन पाया था
जब आँख लगी तो सपने में लहराता तिरंगा देखा था 
राष्र्टध्वज को गोद लिए ,भारत माँ का बेटा था,,,,
जय हिंद का नारा बोल-बोल के आकार वह चिल्लाये थे 
बोले भारत भूमि में जन्मा  है, तू कलंक क्यों लजाता हैं 
राग दुवेष की बातो पर क्यों अपनी कलम चलता है 
इन बातो पर तू कविता लिख में विषय तुझे बतलाता हूँ,,,,,,
हमने पूनम के चंदा को राहु को निगलते देखा है 
गद्दारों की लाशो को चन्दन से जलते देखा है 
भारत माता के लालो को शोलो पर चलते देखा है 
देश भक्तो की भांहो में सर्पो को पलते देखा है ,,,,,,,
हमने गिरगिट सा इंसानों को रंग बदलते देखा है 
जो कई महीनों नहीं जला हमने वो चूल्हा देखा है 
हमने गरीब की  बेटी को फांसी पर झूलते देखा है 
हमने दहेज बिन बिहाई बहुवों को रोते देखा है ,,,,,,,

मजबूर पिता को गर्दन बल पटरी पर सोते देखा है 
देश द्रोही गद्दारों के चहरे पर लाली देखी है
हमने रक्षा के सौदे में होती हुई दलाली देखी हैं 
खादी के कपड़ो के भीतर हमने दिल कला देखा है ,,,,,,,
इन सब नमक हरामो का शेयर घोटाला देखा है   
हमने तंदूर में नारी को रोटी सा सिकता देखा है 
लाल किले के पिछवाड़े अबला को बिकते देखा है 
राष्र्टता कई प्रतिमाओ पर लगा मकड़ी का जाला देखा है,,,,,
आतंकवाद के कदमों को इस हद तक बढ़ते देखा है 
जनपद  वाली बस्ती में हमने कांड हवाला देखा है 
अमरनाथ के शिव भक्तो को हमने मरते देखा है,,,,,
होटल  ताज के दुवारे उस घटना को घटते देखा है 
माँ गंगा की महा आरती में बम को फटते देखा है 
हमने अफजल की  फासी को संसद में सोते देखा है 
जो संसद पर बलिदान हुए उनका घर रोते देखा है ,,,,,,,
उन सात पदों के सूरज को भारत में ढलते देखा है 
नक्सलवाद की ज्वाला में मेने देश को जलते देखा है 
आजादी के दिन दिल्ली बन गई दुलहनिया देखी है 
15 अगस्त के दिन भी हमने भूखी दुनिया देखी है ,,,,,,,
हमने संसद के अंदर स्वम होती गद्दारी देखी है 
ये सारी बाते सपने में नेताजी कहते जाते है 
उनकी आँखों से झर-झर आंसू भी बहते जाते है ,,,,,,,,,,,,,,,,

बोले जा बेटे, भारत माँ के अब तू सोते लाल जगा ,अभी वतन आजाद नहीं .आजाद हिंद तू फोज़ बना.............................

आदित्य शर्मा 

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